देश में Unified Payments Interface (UPI) की सफलता के बाद विदेशों में भी भारतीयों के लिए यह सुविधा शुरू की जा रही है। अनिवासी भारतीय (NRI) जल्द ही अपने भारत मोबाइल नंबर का उपयोग किए बिना लेनदेन के लिए देशों में UPI सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम होंगे।
इन देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, हांगकांग, कतर, सऊदी अरब, कनाडा, ओमान और ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। नेशनल प्रॉजेक्ट्स ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने बताया कि इंटरनेशनल मोबाइल नंबर्स के साथ एनआरई/एनआरओ जैसे एकाउंट्स से यूपीआई ट्रांजैक्शन की क्षमता बढ़ेगी। यह सुविधा अप्रैल के अंत तक शुरू हो सकती है। इससे विदेश में पढ़ने वाले छात्रों और अन्य लोगों को फायदा होगा। ऐसे एकाउंट्स को विदेशी परिवर्तन संबंध अधिनियम (फेमा) नियामक संगठनों के अधीन अनुमति दी जाएगी और रिजर्व को सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की रेसेटाइजिंग कैबिनेट की एक समिति ने रुपे एसआईपी कार्ड और कम फॉर्मेशियल भीम-यूपीआई ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए 2,600 करोड़ रुपये की एक स्वीकृति को स्वीकृति दी है। यूपीआई पार्टनर्स ने दिसंबर में 12.82 लाख करोड़ रुपये के साथ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। पिछले महीने इस प्लेटफॉर्म पर लगभग 782 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए। नवंबर में यूपीआई का दावा 11.90 लाख करोड़ रुपये का था। इससे पहले अक्टूबर में यूपीआई के माध्यम से 12 लाख करोड़ रुपये को पार किया गया था।
वित्तीय सेवा विभाग ने एक ट्वीट में कहा, "यूपीआई ने देश में डिजिटल भुगतान में बदलाव लाने में बड़ा योगदान दिया है। दिसंबर में 12.82 लाख करोड़ रुपये के करीब 782 करोड़ लेनदेन हुए हैं।" UPI एक रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम है, जिसके जरिए एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। ये ट्रांजैक्शन मोबाइल के जरिए आसानी से हो जाते हैं। इसके लिए कोई चार्ज नहीं देना होता है। भुगतान का यह माध्यम लगातार बढ़ रहा है और इसमें 381 बैंक शामिल हैं।
UPI वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में भी बहुत मदद कर रहा है। हाल ही में एनपीसीआई ने बताया था कि आरबीआई के निर्देश के मुताबिक रुपे क्रेडिट कार्ड से 2,000 रुपये तक के लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.
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